Camilo Khose Cela
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कामीलो ख़ोसे सेला
स्पेन के नोबेल पुरस्कार विजेता उपन्यासकार कामीलो ख़ोसे सेला का जन्म 11 मई, 1916 को हुआ था। स्पेनी गृहयुद्ध के बाद के वर्षों में जो लेखक सामने आए, उनमें सेला सर्वप्रमुख हैं और स्पेनी ही नहीं, बल्कि विश्व-साहित्य में उनका नाम आदर के साथ लिया जाता है। उन्होंने कई उपन्यासों की रचना की है, जिनमें सर्वाधिक चर्चित हैं : ‘ला कैमिलिया डी पास्कुआल दुआर्ते’ (1942) और ‘ला कोलमेना’ (1951)। ‘ला कैमिलिया डी पास्कुआल दुआर्ते’ में फाँसी का इन्तज़ार करते एक ख़ूनी की जीवन-गाथा उसी की ज़बानी प्रस्तुत की गई है। ला कोलमेना उनका सशक्ततम उपन्यास माना जाता है। इस उपन्यास में स्पेनी गृहयुद्ध के चार वर्ष बाद माद्रीद की ज़िन्दगी के तीन दिनों का चित्रण है। सेला ने इस उपन्यास में गृहयुद्धोत्तर स्पेनी समाज की दरिद्रता और पतनशीलता का चित्रण करने के साथ-साथ समाज-कल्याण के झूठे दम्भ का पर्दाफ़ाश किया है।
उपन्यासों के अतिरिक्त सेला के कई कहानी-संग्रह, यात्रा-वृत्तान्त और निबन्धों के संग्रह प्रकाशित हुए हैं।
सेला की संकलित रचनाएँ 1972 में आठ खंडों में प्रकाशित हुई थीं।
1956 में सेला ने स्पेन की एक सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक पत्रिका ‘पैपेलेस डी सोन आरमेडेन्स’ की शुरुआत की थी। इस पत्रिका का सम्पादन वे स्वयं करते थे।
निधन : 17 जनवरी, 2002