Balram Menra and Sarat Dutt
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बलराम मेनरा एवं शरद दत्त
मंटो-मेनरा दोस्ती सन् इक्यावन में शुरू हुई। मंटो-शरद दोस्ती का आरम्भ सन् अट्ठावन में हुआ। मेनरा-शरद दोस्ती, मंटो के ताल्लुक़ से, इमरजेंसी की सियाही में पनपी।
बलराज मेनरा और शरद दत्त को एक-दूसरे के अस्तित्व तक का ज्ञान न था। दोनों अपने-अपने तौर पर अलग-अलग, एक-दूसरे से बेख़बर, मंटो की संगत में ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे। जब 1975 में दोनों की मुलाक़ात हुई तो एक ही साथ दोनों का ‘मैं’ और ‘तुम’ ढह गए। बस वह मंटो बोलने लगा, और यूँ जानिए, ख़ुद मंटो ही सुनने लगा।
मंटो-मेनरा-शरद की दोस्ती तीन व्यक्तियों या तीन नामों के गिर्द नहीं घूमती। इस दोस्ती को हर पल, हर घड़ी, दसों दिशाओं में फैलाने का काम नीती ने भी किया है, भोलू ने भी, और बिशनसिंह और मम्मद भाई ने भी।
आप दोस्तों की इस महफ़िल में शामिल हो सकते हैं। शर्त सिर्फ़ इतनी है कि प्रतिवाद, वफ़ा और दर्दमन्दी आपके जीवन के बुनियादी मूल्य हों।