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Anamika

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अनामिका

जन्म : 1961 के उत्तरार्द्ध में मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार।

शिक्षा : अंग्रेज़ी साहित्य से पीएच.डी.।

दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में अंग्रेज़ी साहित्य की लोकप्रिय प्राध्यापक। अनामिका के सात कविता-संकलन, पाँच उपन्यास, चार शोध-प्रबन्ध, छह निबन्ध-संकलन और पाँच अनुवाद बहुचर्चित हैं। इनके पाठकों का संसार बड़ा है। रूसी, अंग्रेज़ी, स्पेनिश, जापानी, कोरियाई, बांग्ला, पंजाबी, मलयालम, असमिया, तेलुगू आदि में इनकी कृतियों के अनुवाद कई पाठ्यक्रमों का हिस्सा भी हैं। फ़िलहाल आप तीन मूर्ति में फ़ेलो के रूप में सन्नद्ध हैं और यहाँ आपके शोध का विषय है : ‘वीविंग अ नेशन : द प्रोटो-फ़ेमिनिस्ट राइटिंग्ज़ इन उर्दू एंड हिन्दी’।

कृतियाँ : आलोचना—‘पोस्ट एलिएट पोएट्री : अ वॉएज फ्रॉम कांफ्लिक्ट टु आइसोलेशन’, ‘डन क्रिटिसिज़्म डाउन दि एजेज़’, ‘ट्रीटमेंट ऑफ़ लव एंड डेथ इन पोस्ट वार अमेरिकन विमेन पोएट्स’; विमर्श—‘स्त्रीत्व का मानचित्र’, ‘मन माँजने की ज़रूरत’, ‘पानी जो पत्थर पीता है’, ‘स्वाधीनता का स्त्री-पक्ष’; कविता—‘टोकरी में दिगन्‍त : थेरी गाथा : 2014’, ‘पानी को सब याद था’, ‘ग़लत पते की चिट्ठी’, ‘बीजाक्षर’, ‘समय के शहर में’, ‘अनुष्टुप’, ‘कविता में औरत’, ‘खुरदुरी हथेलियाँ’, ‘दूब-धान’; कहानी—‘प्रतिनायक’; संस्मरण—‘एक ठो शहर था’, ‘एक थे शेक्सपियर’, ‘एक थे चार्ल्स डिकेंस’; उपन्यास—‘आईनासाज़’, ‘अवान्तर कथा’, ‘दस द्वारे का पींजरा’; अनुवाद—‘नागमंडल’ (गिरीश कार्नाड), ‘रिल्के की कविताएँ’, ‘एफ्रो-इंग्लिश पोएम्स’, ‘अटलान्त के आर-पार’ (समकालीन अंग्रेज़ी कविता), ‘कहती हैं औरतें’ (विश्व साहित्य की स्त्रीवादी कविताएँ)।

सम्मान : ‘राजभाषा परिषद पुरस्कार’ (1987), ‘भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार’ (1995), ‘साहित्यकार सम्मान’ (1997), ‘गिरिजाकुमार माथुर सम्मान’ (1998), ‘परम्परा सम्मान’ (2001), ‘साहित्य सेतु सम्मान’ (2004) आदि।

 

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