‘फ़्रॉम डिक्टेटरशिप टू डेमोक्रेसी’ को मूल रूप से 1993 में अहिंसक संघर्ष के मार्गदर्शन के लिए लिखा गया था। चोरी-चोरी, चुपके-चुपके यह पुस्तक दुनिया-भर के तमाम राजनीतिक असन्तुष्टों के हाथों में पहुँच गई। बाद में इसका तीस से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया। यह छोटी-सी पुस्तिका इक्कीसवीं सदी के अहिंसावादी क्रान्तिकारियों के लिए ‘कैसे-करें’ की पथप्रदर्शक बन गई है। अहिंसक विरोध प्रदर्शन और रक्तहीन क्रान्ति के सुझाव और व्यावहारिक नियम बतानेवाली यह किताब क्रान्ति या बदलाव के झूठे सपने या कोई अकल्पनीय रास्ते नहीं बताती बल्कि लोगों को परिवर्तन के वास्तविक पहलू से परिचय कराती है।
Language | Hindi |
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Binding | Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2020 |
Edition Year | 2022, Ed. 2nd |
Pages | 176p |
Price | ₹250.00 |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 20 X 12 X 1 |