Kavita Lout Pari

Poetry
Author: Kailash Gautam
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Kavita Lout Pari
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कैलाश गौतम एकदम नए ढंग की भाषा लेकर आए हैं। ऐसी भाषा हिन्दी के इस दौर में कहीं नहीं दिखती। धूमिल के पास भी ऐसी भाषा नहीं थी।

—नामवर सिंह

कैलाश गौतम की कहानियों का प्रशंसक रहा हूँ। इनकी अनेक रचनाओं का लोकधर्मी रंग और ग्राम्य संस्कृत‌ि का टटकापन इन्हें एक ऐसी भंगिमा देता है, जो आसानी से इस विधा के दूसरे रचनाकारों में नहीं मिलती?

—श्रीलाल शुक्ल

कैलाश गौतम जैसे प्रथम कोटि के गीतकार निर्भय होकर अपने जीवन परिवेश, पारिवारिकता सबको अपने काव्य में मूर्त करने में लगे हैं। कैलाश गौतम जैसे वास्तविक कवि अपनी संस्कृति से एक क्षण को भी पृथक् नहीं होते। जयदेव, विद्यापत‌ि, निराला के बाद ये कविताएँ ऐसी रचनात्मक बयार हैं, जिनका स्वागत किया ही जाना चाहिए।

—श्रीनरेश मेहता

कैलाश गौतम की रचनाओं का रंग बिलकुल अनोखा है, कितनी सादगी से तन-मन की बारीक संवेदनाओं को उकेर देते हैं। इतनी मीठी पारदर्शी संवेदनाएँ ऐसी सौन्दर्य चेतना जाने क्या-क्या लौटा जाती हैं, वह सब जो तीस-पैंतीस बरस से हिन्दी कविता में खोया हुआ था‍।

—धर्मवीर भारती

कैलाश गौतम जमात से बाहर के कवि हैं। इनकी कविताओं में ताज़गी है, उबाऊपन नहीं। वे लोकमन के कवि हैं।

—दूधनाथ सिंह

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2015
Edition Year 2015, Ed. 1st
Pages 182p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21 X 13.5 X 1
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Kailash Gautam

Author: Kailash Gautam

कैलाश गौतम

राष्ट्रीय स्तर के काव्य-मंचों के प्रतिष्ठित, लोकप्रिय, जनकवि के रूप में विख्यात तथा भोजपुरी के ख्यातिलब्ध बहुचर्चित कवि कैलाश गौतम का जन्म 8 जनवरी, 1944 को वाराणसी के डिग्घी, चन्दौली में हुआ। उन्होंने बी.ए. की शिक्षा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से, बी.एड. गोरखपुर विश्वविद्यालय से तथा एम.ए. की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रहण करने के उपरान्त आकाशवाणी से बतौर वरिष्ठ उद्घोषक, विभागीय कलाकार के रूप में 1967 से 2004 तक कार्य किया। तत्पश्चात् हिन्दुस्तानी एकेडमी के अध्यक्ष पद का कार्यभार सँभाला।

‘यश भारती सम्मान’, ‘लोकभूषण सम्मान’, ‘राहुल सांकृत्यायन सम्मान’, ‘ऋतुराज सम्मान’, ‘परिवार सम्मान’, ‘निराला सम्मान’, ‘महादेवी सम्मान’ आदि से सम्‍मानित।

निधन : 9 दिसम्बर, 2006

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