Facebook Pixel

Katha Samay-Hard Cover

Special Price ₹127.50 Regular Price ₹150.00
15% Off
Out of stock
SKU
Katha Samay-Hard Cover
Share:
Codicon

समय अगर किसी रचना की कसौटी है, तो आलोचना की कसौटी भी वही है। कालबद्ध होकर ही ये दोनों कालजयी हो पाती हैं। लेकिन आलोचना-कर्म की एक कसौटी यह भी है कि अपने समय के रचना-कर्म को वह खुली आँखों से देखे और पूर्वग्रहमुक्त होकर उसकी पड़ताल करे। इस सन्दर्भ में डॉ. विजयमोहन सिंह का आलोचना-कर्म शुरू से ही पाठकों का ध्यान आकर्षित करता रहा है।

‘आज की कहानी’ के बाद यह उनकी दूसरी ऐसी कृति है, जिसमें उन्होंने सिर्फ़ कथा साहित्य को केन्द्र में रखा है, और कहानी एवं कहानीकारों के साथ-साथ उपन्यास और उपन्यासकारों पर भी विचार किया है। इसके लिए उन्होंने ‘कथा-परिदृश्य : एक’ और ‘कथा-परिदृश्य : दो’ के अन्तर्गत चौदह रचनाकारों को लिया है; और आकस्मिक नहीं कि एक समर्थ कथाकार के रूप में रघुवीर सहाय भी इनमें शामिल हैं।

यह सही है कि आलोचना की सम्पन्नता रचना की सम्पन्नता पर निर्भर है, लेकिन आलोचक की अपनी दृष्टि-सम्पन्नता के बिना इस बात का कोई महत्त्व नहीं है। सन्दर्भतः लेखक के ही शब्दों को उद्धृत करें तो “जिस तरह हम रचना या रचनाकारों का मूल्यांकन करते हैं, उसी तरह अपने विचारों को भी एकत्र रूप में प्रस्तुत करते हुए यह परखना ज़रूरी है कि वे केवल संगृहीत पृथक्-पृथक् निबन्ध न लगें, बल्कि जिनमें हमारी अपनी निजी जीवन-दृष्टि भी झलके।” दूसरे शब्दों में, एक सजग समालोचक आलोचना ही नहीं, आत्मालोचना भी करता है और इसी अर्थ में उसके इस काम को रचनात्मक कहा जाता है। कहना न होगा कि डॉ. विजयमोहन सिंह की इस कृति में यह गुण इसलिए और अधिक है, क्योंकि वे स्वयं एक समर्थ कथाकार हैं और एक बोलती हुई आलोचना-भाषा के सहारे रचना की मूल्यवत्ता और उसे उजागर करनेवाली सच्चाई तक जाने का साहस रखते हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Isbn 10 8171198058
Publication Year 1993
Edition Year 2002, Ed. 2nd
Pages 119p
Price ₹150.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Katha Samay-Hard Cover
Your Rating
Vijay Mohan Singh

Author: Vijay Mohan Singh

विजयमोहन सिंह


जन्म : 1 जनवरी, 1936 को शाहाबाद (बिहार) में।

शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी.।

कार्यक्षेत्र की दृष्टि से 1960 से 1969 तक आरा (बिहार) के डिग्री कॉलेज में अध्यापन। अप्रैल, 1973 से 1975 तक  दिल्ली  विश्वविद्यालय  के  रामलाल  आनन्द महाविद्यालय में अध्यापन। अप्रैल, 1975 से 1982 तक हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में सहायक प्रोफ़ेसर। 1983 से 1990 तक भारत भवन, भोपाल में वागर्थ का संचालन। 1991 से 1994 तक हिन्दी अकादमी, दिल्ली के सचिव

1964 से 1968 तक पटना से प्रकाशित होनेवाली पत्रिका नई धारा का सम्पादन। नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित यूनेस्को कूरियर के कुछ महत्त्वपूर्ण अंकों तथा एन.सी.ई.आर.टी. के लिए राजा राममोहन राय की जीवनी का हिन्दी अनुवाद।

प्रमुख कृतियाँ : आज की कहानी, कथा समय, बीसवीं शताब्दी का हिन्दी साहित्य, समय और साहित्य (आलोचना); टट्टू सवार, एक बंगला बने न्यारा, ग़मे हस्ती का हो किससे...!, शेरपुर 15 मील, चाय के प्याले में गेंद (कहानी-संग्रह); कोई वीरानी-सी वीरानी है... (उपन्यास); ’60 के बाद की कहानियाँ (चयन और सम्पादन)।
सम्मान : साहित्यकार सम्मान।

निधन : 25 मार्च, 2015

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top