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Barish, Dhuaan Aur Dost-Paper Back

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प्रियदर्शन की इन कहानियों में एक धड़कता हुआ समाज दिखता है—वह समाज जो हमारी तेज़ दिनचर्या में अनदेखा-सा, पीछे छूटता हुआ-सा रह जाता है। इनमें घरों और दफ़्तरों की चौकीदारी करते वे दरबान हैं जो अपने बच्चों के लिए बेहतर और सुन्दर भविष्य की कल्पना करते हैं, ऐसे मामूली सिपाही हैं जो भीड़ पर डंडे चलाते-चलाते किसी बच्चे के ऊपर पंखा झलने लगते हैं, ऐसी लड़कियाँ हैं जो हर बार नई लगती हैं और अपनी रेशमी खिलखिलाहटों के बीच दु:ख का एक धागा बचाए रखती हैं और ऐसा संसार है जो कुचला जाकर भी क़ायम रहता है।

ज़िन्दगी से रोज़ दो-दो हाथ करते और अपने हिस्से के सुख-दु:ख बाँटते-छाँटते इन चरित्रों की कहानियाँ एक विरल पठनीयता के साथ लिखी गई हैं—ऐसी क़िस्सागोई के साथ जिसमें नाटकीयता नहीं, लेकिन गहरी संलग्नता है जो अपने पाठक का हाथ थामकर उसे दूर तक साथ चलने को मजबूर करती हैं। निहायत तरल और पारदर्शी भाषा में लिखी गईं ये कहानियाँ दरअसल पाठक और किरदार का फ़ासला लगातार कम करती चलती हैं और यहाँ से लौटता हुआ पाठक अपने-आप को ख़ाली हाथ महसूस नहीं करता।

शुष्क और निरे यथार्थ की इकहरी राजनीतिक कहानियों या फिर वायवीय और रूमानी शब्दजाल में खोई मूलत: भाववादी कहानियों से अलग प्रियदर्शन की ये कहानियाँ अपने समय को पूरी संवेदनशीलता के साथ समझने और पकड़ने की कोशिश की वजह से विशिष्ट हो उठती हैं। इनमें राजनीति भी दिखती है, अर्थनीति भी, प्रेम भी दिखता है, दुविधा भी, सत्ता के समीकरण भी दिखते हैं, प्रतिरोध की विवशता भी, लेकिन इन सबसे ज़्यादा वह मनुष्यता दिखती है जिसकी चादर तमाम धूल-मिट्टी के बाद भी जस की तस है।

निस्सन्देह, ‘उसके हिस्से का जादू’ के बाद प्रियदर्शन का यह दूसरा कथा-संग्रह उन्हें समकालीन कथा-लेखकों के बीच एक अलग पहचान देता है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2016
Edition Year 2016 Ed. 1st
Pages 116p
Price ₹99.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Priyadarshan

Author: Priyadarshan

प्रियदर्शन

प्रियदर्शन का जन्म 24 जून, 1968 को राँची में हुआ। आपने अॅंग्रेज़ी में राँची विश्वविद्यालय से एम.ए. की पढ़ाई करने के बाद उसी शहर से पत्रकारिता की शुरुआत की।

आपकी प्रकाशित पुस्तकें हैं : ‘ज़िन्दगी लाइव’ (उपन्यास); ‘बारिश, धुआँ और दोस्त’, ‘उसके हिस्से का जादू’ (कहानी-संग्रह); ‘नष्ट कुछ भी नहीं होता’ (कविता-संग्रह) सहित नौ किताबें प्रकाशित। कविता-संग्रह मराठी में और उपन्यास अंग्रेज़ी में अनूदित। सलमान रुश्दी और अरुंधति‍ रॉय की कृतियों सहित सात किताबों का अनुवाद और तीन किताबों का सम्पादन। विविध राजनैतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक विषयों पर तीन दशक से नियमित विविधतापूर्ण लेखन और हिन्दी की सभी महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन।

सम्मान : कहानी के लिए पहला 'स्पन्दन सम्मान'।

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