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Andhe Mod Se Aage-Hard Cover

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मानवीय सम्बन्धों के द्वन्द्व और अन्तर्द्वन्द्व की आन्तरिक विकलता, मंथर प्रवाह और गहराई; कथ्य-चयन में संकेन्द्रण, शिल्प रचने में धीरज, कृति की सधी हुई काठी—बेहद कमसिन, लचीली मगर भीतर से मज़बूत इरादे की तरह राजी की विशेषताएँ हैं। ऐसे रचना-गुण कुछ अलग संयोजनों में अन्य लेखकों में भी कमोबेश मिल जाएँगे परन्तु इन्हें एक अलग स्पर्श और लावण्य देती है राजी की ‘स्त्री’ जो वहाँ सिर्फ़ संवेदन में ही नहीं, जैविक पदार्थता में भी है। पुरुष-स्पर्द्धी आधुनिक स्त्री की तरह राजी अपने लेखन में न तो स्त्री होने से इनकार करती हैं और न उसे नष्ट करती हैं, बल्कि अपने नैसर्गिक रूप में उसकी शक्ति और सम्भावना, उसके सत्य और अनुभव, उसकी नियति और उत्कटता का वह सृजनात्मक उपयोग करती हैं। स्त्री होने को स्वीकारते हुए, राजी के लेखक ने इस स्वीकार के भीतर जितने इनकार रचे हैं, यथास्थिति में जितने हस्तक्षेप किए हैं, उसे उनकी आधुनिक पहचान के लिए देखना ज़रूरी है। राजी ने स्त्री के भीतर पराजित पुरुष को; बल्कि व्यवस्था को, जितनी भंगिमाओं में उकेरा है और अपनी विंध्यात्मक दृष्टि से जो मूल्यवत्ता अर्जित की है, उससे नए-नए सृष्ट्यर्थ प्रकट हुए हैं। वे ऐसी महिलावादी नहीं हैं जिन्हें पुरुष नकारात्मक उपस्थिति लगता है, वे स्त्री की खोट भी पहचानने की कोशिश करती हैं और भरसक निरपेक्ष बनी रहकर अधिक विश्वसनीय होती हैं। वे बार-बार इस प्रश्न से जूझती हैं कि क्या समाज आधुनिकता के नाम पर जारी विघटनों और विद्रूपों के सहारे ज़‍िन्दा रह सकेगा। अपने को देखता हुआ लेखक इसका साभिप्राय और सचेष्ट उपयोग कर सके तो वह व्यक्तित्व को विशिष्टता देता है और रचना को विरलता। राजी इसी वास्ते धारा में भी अलग हैं। अपनी पहचान आप। राजी की कहानियाँ हिन्दी जगत में एक अलग जगह की अधिकारी हैं और अलग ढंग से बात करने की ज़रूरत महसूस कराती हैं।

—प्रभाकर क्षोत्रिय

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Isbn 10 8126706031
Publication Year 2002
Edition Year 2002, Ed. 1st
Pages 128p
Price ₹95.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
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Rajee Seth

Author: Rajee Seth

राजी सेठ

 

जन्म : सन् 1935; नौशेहरा छावनी (अविभाजित भारत)।

शिक्षा : एम.ए. अंग्रेज़ी साहित्य। विशेष अध्ययन : ‘तुलनात्मक धर्म और भारतीय दर्शन’।

लेखन : जीवन के उत्तरार्द्ध में शुरू किया—1975 से। उपन्यास, कहानी, कविता, समीक्षा, निबन्ध आदि सभी विधाओं में लेखन।

प्रकाशन : ‘तत-सम’ (उपन्यास); ‘निष्कवच’ (दो उपन्यासिकाएँ); ‘अन्धे मोड़ से आगे’, ‘तीसरी हथेली’, ‘यात्रा-मुक्त’, ‘दूसरे देशकाल में’, ‘सदियों से’, ‘यह कहानी नहीं’, ‘किसका इतिहास’, ‘गमे हयात ने मारा’, ‘ख़ाली लिफ़ाफ़ा’ (कहानी-संग्रह)।

‘मदर्स डायरी’ (अंग्रेज़ी में अनूदित); ‘मेरे लई नई’ (पंजाबी में); ‘मीलों लम्बा पुल’ (उर्दू में); ‘निष्कवच’ (गुजराती में); ‘इक्यूनॉक्स’ (‘तत-सम’ का अनुवाद अंग्रेज़ी में)।

अनुवाद : जर्मन कवि रिल्के के 100 पत्रों का अनुवाद; आक्ताविया पाज़, दायसाकू इकेदा, लक्ष्मी कण्णन, दिनेश शुक्ल की रचनाओं के बहुत से अनुवाद।

राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय ‘हू इज हू’ में प्रविष्टि।

सम्मान : ‘हिन्दी अकादमी सम्मान’, ‘भारतीय भाषा परिषद पुरस्कार’, ‘अनन्त गोपाल शेवडे पुरस्कार’, ‘वाग्मणि सम्मान’, ‘संसद साहित्य परिषद सम्मान’, ‘जनपद अलंकरण’ आदि।

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