Aaspas Se Gujrate Hue

Fiction : Novel
Author: Jayanti
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Aaspas Se Gujrate Hue

‘अनु–––सर्दियों की एक ख़ुशनुमा ढलती साँझ में मेरे ज़ेहन में आई थी। शाम से लेकर पूरी रात वह मेरे साथ रही। अगले ही दिन मैंने तय कर लिया कि अनु को आकार देना चाहिए। अनु जैसी किसी से मैं आज तक मुखातिब नहीं हुई हूँ। पर टुकड़ों में उसकी छवियाँ मेरे आसपास से गुज़रती रही हैं। आज के दौर की एक सामान्य-सी युवती है अनु, जो कुछ परवरिश के तौर–तरीक़े के चलते, तो कुछ परिस्थितिवश और बहुत कुछ अपने स्वभावगत गुण–अवगुण की वजह से लीक से हटकर चलने की कोशिश में लगी है।’ इस उपन्यास की नायिका के बारे में लेखिका का यह वक्तव्य, अगर बहुत ज्‍़यादा नहीं तो इतना तो बताता ही है कि वह ‘लीक से हटकर’ चलनेवाली युवती है, उसके ख़ाका को पूरा करने के लिए इतना–भर और जोड़ लेना काफ़ी होगा कि वह हमारे दरवाज़े के बाहर खड़े, ‘इन्स्टैंट’ वर्तमान से उठी हुई नायिका है—अपनी टुकड़ा–टुकड़ा छवियों में ही आकार लेती हुई।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2001
Pages 159p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
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Editorial Review

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Jayanti

Author: Jayanti

जयंती

मूलत: दक्षिण भारतीय जयंती रंगनाथन की परवरिश लौह शहर भिलाई में हुई। एम.कॉम. मुम्बई से किया और वहीं से अपने कैरिअर की शुरुआत हिन्‍दी की जानी-मानी पत्रिका ‘धर्मयुग’ में धर्मवीर भारती के साथ की। नौ साल वहाँ काम करने के बाद तीन साल टेलीविज़न की दुनिया में ‘सोनी चैनल’ के साथ जुड़ीं। फिर महिलाओं की हिन्दी पत्रिका ‘वनिता’ की सम्‍पादक बनकर दिल्‍ली चली आईं। सात सालों तक ‘वनिता’ का सम्पादन, ‘अमर उजाला’ में फ़ीचर सम्पादक और इन दिनों दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ में एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर के साथ-साथ बच्चों की पत्रिका ‘नंदन’ की सम्पादक। प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘आसपास से गुज़रते हुए’, ‘खानाबदोश ख्‍़वाहिशें’, ‘औरतें रोती नहीं’, ‘एफ़.ओ. ज़िन्दगी’; ‘बॉम्बे मेरी जान’ (उपन्‍यास); ‘एक लड़की दस मुखौटे’, ‘गीली छतरी’, ‘रूह की प्यास’ (कहानी-संग्रह); पहला फ़ेसबुक सीरिज—‘30 शेड्स ऑफ़ बेला’, ‘30 दिन : तीस राइटर’ (सम्‍पादन); ‘बाला और सनी’, ‘इश्क़ के रंग’, ‘कुछ लव जैसा’ (ऑडियो बुक्स); ‘कंप्यूटर बना कैलकुलेटर’, ‘लिटिल वर्ड्स’ (बाल कहानी-संग्रह); ‘सोने की ऐनक’ (बच्चों के लिए फ़िल्म) आदि।

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