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‘आमीन’ के बाद ‘आफ़रीन’। ग़ज़ल के बाद अफ़साना। ये आलोक श्रीवास्तव की ग़ज़लों का विस्तार है। ‘आफ़रीन’ ‘आमीन’ की उत्तरकथा है। इन कहानियों में भी इंसानी रिश्तों का वही दर्द है जिन्हें आलोक ने जि‍या, भोगा और फिर अपनी रचनाओं में सहेजा। इस दर्द को भोगने में पाठक लेखक का सहयात्री बनता है। ये कहानियाँ आलोक के जीवन का अक्स हैं। उसके अपने अनुभव। ‘फ़ल्सफ़ा’, ‘तिलिस्म’ और ‘अम्मा’ में तो आलोक सहज ही मिल जाते हैं। पढ़िए तो लगता है कि हम भी इन कहानियों के किरदार हैं। हमें ‘टैक्स्ट’ को डि-कंस्ट्रक्ट करना पड़ता है।

ग़ज़ल हो या कहानी, आलोक की भाषा ताज़ा हवा के झोंके जैसी है। बोलती-बतियाती ये कहानियाँ बोरियत और मनहूसियत से बहुत दूर हैं। खाँटी, सपाट, क़िस्सागोई। जैसे आलोक को पढ़ना और सुनना। एक-सा ही है। सहज और लयबद्ध।

ग़ज़ल के बाद कहानी! ख़तरा है। सम्प्रेषण के स्तर पर। कहानी मुश्किल है। शेर पर तुरन्त दाद मिलती है, लेकिन कहानी के पूरे होने तक इंतज़ार करना होगा। धीरज के साथ। लम्बे समय तक पाठक को बाँधे रखना, कहानी की एक और मुश्किल है। आलोक इस मुश्किल पर खरे उतरे हैं। ‘अम्मा’ और ‘तृप्ति’ बड़ी बात कहती, छोटी-छोटी ‘पत्र-कथाएँ’ हैं। आलोक ने ‘पत्र-कथा’ के रूप में अनूठा शिल्प रचा है। नई पीढ़ी में वे इस शिल्प के जनक हैं और लीक से हटकर चलने का प्रमाण भी। 

इस तरह, इस छोटी-सी किताब में बड़ा ख़ज़ाना है। ‘आफ़रीन’ में सिर्फ़ सात कहानियाँ हैं। एक कवि के गद्य का छोटा लेकिन सतरंगी आकाश। इसे आलोक की कुल जमा पूँजी से मैंने चुना है। दुष्यन्त के बाद आलोक ने हिन्दी में ग़ज़ल के पाठकों की नई जमात तैयार की है। अब कहानियों की बारी है। इन्हें भी पढ़ ही डालिए।

—हेमंत शर्मा

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 88p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 16.5 X 13.5 X 1
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Editorial Review

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Aalok Shrivastava

Author: Aalok Shrivastava

आलोक श्रीवास्तव

कविता, कहानी, फ़िल्म-लेखन और टीवी पत्रकारिता का जाना-माना नाम।

शाजापुर (म.प्र.) में 30 दिसम्बर को जन्म। तीन दशक से ग़ज़लकार के रूप में प्रसिद्धि। सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन। पहला ही गज़ल-संग्रह ‘आमीन’ सर्वाधिक चर्चित, लोकप्रिय व बहु-पुरस्कृत पुस्तकों में शामिल। ‘राजकमल’ से ही प्रकाशित ‘आफ़रीन’ नामक कथा-संग्रह के भी अब तक अनेक संस्करण। कई भारतीय व विदेशी भाषाओं में रचनाओं का अनुवाद। उर्दू के ख्यात शायरों की पुस्तकों का सम्पादन। 

हिन्दी के अन्यतम युवा ग़ज़लकार जिनकी अनेक ग़ज़लों व नज़्मों को जगजीत सिंह, पंकज उधास, उस्ताद राशिद ख़ान, शुभा मुद्गल व रेखा भारद्वाज से लेकर महानायक अमिताभ बच्चन तक ने अपना स्वर दिया। भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध संगीतकारों व पार्श्‍व गायकों ने भी कई गीतों व ग़ज़लों को स्वरबद्ध किया।

‘शब्दशिल्पी सम्मान’ (भोपाल), ‘हेमंत स्मृति कविता सम्मान’ (मुम्‍बई), ‘परम्परा ऋतुराज सम्मान’ (दिल्ली), मध्य प्रदेश साहित्य अकादेमी का ‘दुष्यन्त कुमार पुरस्कार’, ‘फ़िराक़ गोरखपुरी सम्मान’ (उदयपुर), मास्को (रूस) का ‘अंतर्राष्ट्रीय पुश्किन सम्मान’  सहित अमेरिका के वॉशिंगटन में ‘हिन्दी ग़ज़ल सम्मान’  व कथा यूके की ओर से ब्रिटेन की संसद हाउस ऑफ़  कॉमन्स  में सम्मानित हुए पहले युवा ग़ज़लकार।

अमेरिका, इंग्लैंड, यूरोप, रूस, साउथ अफ़्रीका और यूएई सहित 15 से अधिक देशों की साहित्यिक यात्राएँ। 

सम्प्रति : टीवी पत्रकारिता और फ़िल्मों में सक्रिय लेखन।

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