Born: October 5, 1713
Died: July 31, 1784
देनी दिदेरो
जन्म: 5 अक्टूबर, 1713; लांग्रेस (फ्रांस)। मृत्यु: 31 जुलाई, 1784, पेरिस (फ्रांस)। प्रबोधकालीन दार्शनिकों की शीर्ष-त्रिमूर्ति में वोल्तेयर और रूसों के साथ तीसरा नाम निर्विवाद रूप से दिदेरो का ही आता है। फ्रंासीसी क्रान्ति के हरावलों को और समूचे फ्रांसीसी समाज को वोल्तेयर के बाद दिदेरो ने ही सर्वाधिक प्रभावित किया था। वह अपने समय का ही नहीं, बल्कि पूरी अठारहवीं शताब्दी का एक धुरी व्यक्तित्व था।
अपने सबसे महत्वपूर्ण कार्य विश्वकोश (Encyclopédie) के पहले के वर्षों में दिदेरो ने दार्शनिक चिन्तन, संशयात्म की मटरगश्तियाँ और अन्धे के बारे में पत्र जैसी कृतियों से रूढ़ियों पर प्रहार शुरू कर दिया था और तीन महीने जेल में रहकर इसकी कीमत चुकाई बाहर आकर 1745 के आसपास। दिदेरो ने विश्व के भौतिक-आत्मिक पक्ष की सभी तरह की जानकारियों को कोशबद्ध करने तथा उनके माध्यम से भौतिकवादी जीवन-दृष्टि और वैज्ञानिक तर्कणा को जन-जन तक पहुंचाने की महत्वाकांक्षी और अनूठी परियोजना की शुरुआत की। दालम्बेर, वोल्तेयर, स्यो, शेवालीए द ज़ाकूर, मार्मांतेल आदि उस काल के अधिकांश दार्शनिकों-विचारकों ने शुरू में विश्वकोश के लिए लिखा पर दिदेरो ने अकेले ही इसका लगभग अस्सी प्रतिशत हिस्सा लिखा। इस मिशन के लिए उसने अपना स्वास्थ्य खपा-गला दिया और सामान्य जीवन की सभी सुख-सुविधाओं को होम कर दिया। 1751 से 1772 के बीच विश्वकोश के कुल 28 बृहद् खंड प्रकाशित हुए। इसके प्रकाशन के दौरान, प्रतिक्रियावादियों के लगातार हमलों के कारण दिदेरो को जबर्दस्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
विश्वकोश के सम्पादन के दौरान ही समय निकालकर दिदेरो ने गूंगों-बहरों के बारे में पत्र, प्रकृति-विषयक प्रतिपादन (दार्शनिक कृतियाँ), प्राकृतिक सन्तति, परिवार का पिता (नाटक), दि नन, रामो का भतीजा, नियतिवादी जाक (उपन्यास), रिचर्डसन की प्रशंसा में (साहित्यालोचना), दालम्बेर और दिदेरो का संवाद और दालम्बेर का सपना जैसी अपनी महत्वपूर्ण कृतियों की रचना की।